जब शेयर बाजार गिरता है तो कहां चला जाता है आपका पैसा, जानें इसका फंडा
जब शेयर बाजार गिरता है तो कहां चला जाता है आपका पैसा, जानें इसका फंडा
अक्सर हमारे सामने ऐसी खबरें आती हैं कि शेयर बाजार में गिरावट से निवेशकों के लाखों करोड़ डूबे. पर आपने सोचा है कि डूबकर ये पैसे किसके पास जाते हैं. क्या आपको होने वाला नुकसान किसी और के पास मुनाफे के रूप में जाता है. जवाब है नहीं, ये पैसा गायब हो जाता है. जी, सही पढ़ा आपने और यह खबर आपको बाजार के पर्दे के पीछे की पूरी कहानी बताएगी.
दरअसल, किसी शेयर का मूल्य उसकी कंपनी के प्रदर्शन और घाटे-मुनाफे के आकलन पर टिका होता है. अगर निवेशकों और बाजार विश्लेषकों को लगता है कि भविष्य में कोई कंपनी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है, तो उसके शेयरों की खरीदारी में तेजी आ जाती है और बाजार में उसकी मांग भी बढ़ने लगती है. इसी तरह, अगर किसी कंपनी के बारे में यह अनुमान लगे कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा या कारोबार में सुस्ती आएगी तो उसके शेयरों का खेल बिगड़ जाता है और कम कीमत पर बिकवाली शुरू हो जाती है. चूंकि, बाजार डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्थितियों में शेयरों का मूल्य घटता या बढ़ता जाता है.
इसे दूसरे तरीके से समझें
बाजार में वास्तविक तौर पर कोई पैसा नहीं होता और किसी स्टॉक की कीमत महज उसका मूल्यांकन (Valuation) होती है. अगर आज आप कोई स्टॉक 100 रुपये के भाव में खरीद रहे हैं और दूसरे दिन कंपनी को लेकर आकलन बदल गया जिससे शेयर का मूल्यांकन घटकर 80 रुपये पर आ गया. अब ये शेयर बेचने पर आपको तो 20 रुपये का नुकसान हुआ, लेकिन इसे खरीदने वाले को सीधे तौर पर कोई फायदा नहीं होगा. हां, अगर उस शेयर का मूल्यांकन दोबारा बढ़कर 100 रुपये पहुंच जाए तो उसे बेचने पर 20 रुपये का लाभ जरूर हो जाएगा.
कैसे काम करती है बाजार धारणा
कहते हैं कि शेयर बाजार सेंटिमेंट का खेल है. मतलब, निवेशकों के सेंटिमेंट से शेयर की कीमत तय हो जाती है. उदाहरण के लिए- अगर किसी कंपनी ने कैंसर की दवा बनाने का पेटेंट हासिल कर लिया है तो निवेशकों को लगता है कि भविष्य में उसका कारोबार और कमाई भी जरूर बढ़ेगी. बस इसी धारणा के बूते वह कंपनी के शेयर खरीदने लगता है. बाजार में उसकी मांग बढ़ते ही कीमतों में तेजी आनी शुरू हो जाती है. यानी कंपनी के बारे में एक धारणा ने उसके मूल्यांकन को अचानक बढ़ा दिया. इसे Implicit Value कहते हैं, जबकि कंपनी का वास्तवकि मूल्य उसकी कुल पूंजी में से देनदारियां घटाकर पता की जाती है. इसे Explicit Value कहा जाता है.
बाजार में जारी गिरावट की वजह से पिछले 7 कारोबारी दिनों में निवेशकों ने 17.23 लाख करोड़ रुपये गंवा दिए. मतलब ये है कि यह पैसा किसी की जेब में जाने के बजाए कंपनियों का मूल्यांकन घटने से हवा में गायब हो गया. 17 जनवरी को बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार मूल्यांकन 280.02 लाख करोड़ रुपये था, जो 25 जनवरी को घटकर 262.78 लाख करोड़ पर आ गया.
- (डिस्क्लेमर: Www.Bearbullnews.Com सिर्फ स्टॉक की जानकारी मुहैया कराता है. निवेश की सलाह नहीं देता है. शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है. इसलिए निवेश से पहले एक्सपर्ट से सलाह जरूर ले लें.)
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